23 जनवरी, 2008

चारों खाने सेंसेक्स


ये पहला मौका था जब शेयर बाज़ार में अफरा तफरी मची, खुद वित्तमंत्री ने बयान दिया लेकिन फिर भी बाज़ार खुलते ही सेंसेक्स की गिरावट जारी रही। ऐसा ही हुआ 22 जनवरी को। घंटों के ही कारोबार में 2273 अंकों से ज्यादा की गिरावट। कारोबार रोक देना पड़ा। हालांकि ये कुल मिलाकर चौथा मौका था जब सरकार को शेयर बाज़ार को संभालने के लिए कारोबार रोकना पड़े। 21 और 22 जनवरी वो मनहूस तारीख बन गई जब सिर्फ दो कारोबारी दिन में 10 लाख करोड़ से ज्यादा का नुकसान देखा गया। 21 हज़ार से 19 हज़ार के बीच झूल रहा संवेदी सूचकांक एक झटके में 17 हजार से भी नीचे चला गया। जिसमें 16 लाख करोड़ रुपए तक हलाल हो गए। याद कीजिए17 अक्टूबर 2007 सुबह 10 बजे बाज़ार खुला और अगले 4 मिनट में ही सेंसेक्स रिकॉर्ड 1744 अंक तक गिर गया। कारोबार रोक देना पड़ा। देखते ही देखते दो दिनों में बाज़ार से 410 मिलियन डॉलर उड़न छू। पिछले 10 साल अगर सेंसेक्स के लिए फर्श से अर्श की कहानी है तो औंधे मुंह गिरने की दास्तान भी नई नहीं है। पिछले अगस्त को ही सेंसेक्स ने गिरने के रिकॉर्ड भी अपने नाम किए। 1 अगस्त 2007 को बंबई शेयर बाज़ार का संवेदी सूचकांक 615 अंकों तक गिर गया तो उसके 15 दिनों बाद ही 16 अगस्त को सेंसेक्स ने गोता लगाते हुए 643 अंकों की गिरावट दर्ज की।ये संकट दरअसल में वैश्विक संकट है। भारतीय और अमेरिकी पूंजी बाज़ार के साथ साथ एशियाई और यूरोपीय शेयर बाज़ारों में भी गिरावट आई है। एशियाई बाज़ारों की बात करें तो जापान में टोक्यो का निक्केई सूचकांक चीन का शंघाई सुचकांक में भी औसतन 7 से 8 फीसदी तक गिरे।

कोई टिप्पणी नहीं: