21 फ़रवरी, 2010

हमारे नेता जी !


अरे नेता जी तो नेता हैं, वो नव रसों के जानते वाले हैं। नेताजी डराते भी हैं और मस्ती में झुमने पर मजबूर भी कर देते हैं। इ‍टावा से विधायक एक इंजीनियर को रौद्र रुप दिखाते हैं धमकाते हैं कि दूसरा औरेया कांड कर देगें। वही औरेया कांड जिसमें एक विधायक ने इस इंजीनियर को पीट पीट कर तड़पा तड़पा कर मारा था, क्या हुआ उनका अब तक जांच हुई कि नहीं पता नहीं। इटावा के विधायक की हिम्मत तो देखिए, औरेया कांड उनके लिए शर्म नहीं बल्कि प्रेरणा का स्रोत बना है। नाम पर गौर करें भीमराव अंबेडकर। बताने की ज़रुरत नहीं इस नाम का मतलब क्या है। कब समझेगें ये नेता कि उनको धौंस जमाकर शासन करने के लिए नहीं चुना गया है। वो सेवक हैं। दूसरी ख़बर, ये विधायक पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि जीरादेई से विधायक है। उस मिट्टी का लेश मात्र भी लगता है वो नहीं छू पाए हैं। पटना में पिछले दिनों बेशर्मों की तरह ठुमके लगाते देखे गए। वो भी भौंडी अदाओं के साथ, कुछ वैसे ही नर्तकियों के साथ। आप सबने टीवी पर देखा होगा दुहराने की ज़रुरत नहीं। दुहराने की बात है कि हम क्यों ऐसे जनप्रतिनिधियों को स्वीकार कर लेते हैं, क्यों उनके इन धमकियों को लेकर कोई गुस्सा नहीं फूटता। मैं बार बार सोचता हूं कि हमने क्यों अपने पुलिस अधिकारियों, नेताओं और सरकारी विभाग के वो तमाम अफसरानों को ये छूट दे रखी है कि आइये हम पर जो मर्जी किजीए। हम बस आपको खुश करके जी लेगें, कुछ चमचे अपना काम भी बना लेगें। मैं सिर्फ कोस नहीं रहा इसका जवाब भी दे रहा हूं, हालांकि वो भी दूहराव ही है। वो ये कि इस बीमारी की जड़ खुद हममे हैं। क्योंकि हमारा तंत्र न तो सवाल पूछने - उठाने की इजाज़त देता है न ही उसे प्रोत्साहित करता है। कोई (एक मुख्यमंत्री)नेता अपनी मूर्ति पर मूर्ति लगवाता है, तो कोई (एक पूर्व प्रधानमंत्री) सरेआम गाली गलौज करता है।

1 टिप्पणी:

Mithilesh dubey ने कहा…

धन्य है हमारे नेता जी ।