17 मार्च, 2009

...अगला प्रधानमंत्री ?

क्या आपको लगता है कि आज देश के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा। अगर आपको ऐसा लगता है तो मीडिया को धन्यवाद दीजिए। जोड़-तोड़ जारी है, प्रधानमंत्री के इतने दावेदार कभी भी नहीं होगें जितने की इस बार हैं। चलिए, ये तो पुरानी बात है कुछ नया कहते हैं। कांग्रेस जानती है कि राहुल बाबा में दम नहीं है, चाहे वो कितनी रातें दलितों के घर बिता लें। राहुल गांधी अपने पापा की याद तो दिलाते हैं लेकिन वोट नहीं दिला पाते। मैडम सोनिया गांधी की तारिफ करनी होगी कि यूपीए अब तक चलती रही। लेकिन, वोटों और सीटों का क्या। वो बढ़ेगीं। बढ़े ना बढ़े घटेगीं ज़रुर, यो तो साफ है। मनमोहन सिंह किंग तो बने हैं लेकिन क्या देश ऐसे प्रधानमंत्री को आगे भी देखता रहेगा जो हमेशा ही बेचारे से लगते हैं। प्रियंका गांधी में दम है, वो दुर्गा दादी की याद भी दिलाती हैं, लेकिन पूरी तस्वीर में वो कहीं नहीं। ये कांग्रेस का दुर्भाग्य है। प्रणव दा भी हैं, लेकिन कोई चाह कर भी उनका नाम नहीं ले रहा। इतनी हिम्मत नहीं। चलिए, दूसरों की भी बात करें। आडवाणी ताल ठोक तो रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं। गुजराती मोदी बड़े दावेदार हैं लेकिन कोई उनकी बात नहीं करता, हिम्मत ही नहीं। ये भाजपा का दुर्भाग्य है। दरअसल, हम सब मुंह चुराते रहते हैं सच से। कहते हैं कि शीर्ष पर हमेशा जगह खाली रहती हैं, दुर्भाग्य है कि ये भी सच है...मेरा भी मानना है कि अभी सवाल तो यही है कि प्रधानमंत्री अगला कौन होगा।...चलिए इंतज़ार करते हैं 16 मई का...

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